Wednesday, March 31, 2021

बरगद बाबा का चबूतरा
बात अभी की नही सालो पुरानी है, बात की शुरूवात करते है ब्रिटिश शासन से जी हाॅं ब्रिटिश शासन के दौरान उनकी एक ”भीलपल्टन“ हुआ करती थी पराक्रमी व शूर वीरो की और उनके प्रमुख रेजिडेंट वर्तमान की रेजीडेंसी में निवास करते थे। और वही गौरवशाली भीलपल्टन वर्तमान में पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध है।
इसी पुरातन धरोहर के आंगन में विराजमान है ”बरगद बाबा“ एक विशाल बरगद का पेड़ जो करीब सौ साल पुराना है, अपनी जटाओं और शाखाओं में इतिहास के कई चाहे अनचाहे पहलू समेटे हुए है।
पीटीसी के मुख्य द्वार पर अपनी धीरगम्भीर मुद्रा में हर आगन्तुक का स्वागत करता हुआ ”बरगद बाबा“ जिसकी विशाल शाखाओं पर पक्षियों का बसेरा है। इसी के कंधों पर उड़ते खेलते कितने ही राजपक्षी मयूर बड़े हुए है।
कहते है बरगद पर यक्ष निवास करते है। यक्षों के सौदर्य से ओतप्रोत से प्रशिक्षण संस्थान का गौरव प्राप्त किये हुए है।
समय की मार से बरगद बाबा का चबूतरा जीर्णशीर्ण हो इस बरसात में ढह गया था।
बरगद बाबा की मौन पीड़ को 74 बैच के प्रशिक्षण रत संवेदनशील प्रशिक्षु ने समझा और बीते रविवार सुबह सुबह सभी जमा हो गए बाबा के आंगन में और देखते ही देखते बरगद बाबा का चबूतरा फिर से तैयार हो गया।
बरगदबाबा अपने चबूतरे पर फिरपद्ममासन में बैठ हमे आशीष दे रहे है।यक्ष खग विहग के साथ नृत्य कर पीटीसी के सौंदर्य में चार चांद लगा रहे है ।
आलेख-धैर्यशील


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