दिनांक 25.10.17 को महाविद्यालय में अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के मोटीवेशनल व्याख्यानदाता श्री विक्रंात तोमर का आगमन हुआ । श्री तोमर ने इकाई में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे नवआरक्षकों को जीवन की लड़ाई के विभिन्न रूपों के बारे में प्रभावशाली व्याख्यान दिया उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि हम इस भूमि को किस रूप में देख रहे है रणक्षेत्र, धर्मक्षेत्र, या कुरूक्षेत्र अगर हम भगवत गीता का प्रसंग ले तो भगवान कृष्ण के लिये यह क्षेत्र धर्मक्षेत्र है क्योंकि वह धर्म की रक्षा के लिये आये है,
अर्जुन के लिये यही क्षेत्र कुरूक्षेत्र है जो अपने कुरू या अपने परिवार के लिये आए है और यही क्षेत्र दुर्याेधन के लिये रणक्षेत्र है जो यहां लड़ने के लिये आया है । इसी प्रकार क्षेत्र एक ही है लेकिन कार्य अलग अलग है और आप जो करेंगंे वही आपको वापस मिलेगा । अपने उद्बोधन में उन्होंने आगे कहा कि आप जीवन में कैसे रहना चाहते हैआपके उपर निर्भर करता है । अगर आप दुखी रहना चाहते है तो दुखी रहेंगे और सुखी रहना चाहते है तो सुखी रहेंगें । श्री तोमर ने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से आरक्षकों को कर्मक्षेत्र की महत्वता बताई ।
अर्जुन के लिये यही क्षेत्र कुरूक्षेत्र है जो अपने कुरू या अपने परिवार के लिये आए है और यही क्षेत्र दुर्याेधन के लिये रणक्षेत्र है जो यहां लड़ने के लिये आया है । इसी प्रकार क्षेत्र एक ही है लेकिन कार्य अलग अलग है और आप जो करेंगंे वही आपको वापस मिलेगा । अपने उद्बोधन में उन्होंने आगे कहा कि आप जीवन में कैसे रहना चाहते हैआपके उपर निर्भर करता है । अगर आप दुखी रहना चाहते है तो दुखी रहेंगे और सुखी रहना चाहते है तो सुखी रहेंगें । श्री तोमर ने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से आरक्षकों को कर्मक्षेत्र की महत्वता बताई ।
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